नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कोरोना को मात देने पर चर्चा की। खासतौर पर उन्होंने उन लोगों से बात की जो कोरोना वायरस के संक्रमण में आए और इलाज करवा कर ठीक हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर राम और आगरा के अशोक कपूर से बात की। राम ने कहा कि लॉकडाउन जेल जैसा नहीं है और लोग नियमों का पालन कर ठीक हो सकते हैं। जबकि अशोक कपूर ने कहा कि वे आगरा के स्वास्थ्यकर्मियों और स्टाफ को धन्यवाद देना चाहते हैं जिनकी वजह से वे ठीक हुए हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली अस्पताल के कर्मचारियों और स्टाफ ने उनकी पूरी पूरी मदद की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आमतौर पर ‘मन की बात’, उसमें मैं कई विषयों को ले करके आता हूँ लेकिन आज, देश और दुनिया के मन में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात है- ‘कोरोना वैश्विक महामारी’ से आया हुआ ये भयंकर संकट। ऐसे में मैं और कुछ बातें करूं वो उचित नहीं होगा लेकिन सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा माँगता हूँ और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरुर क्षमा करेंगे क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाइयाँ उठानी पड़ रही हैं, खास करके मेरे गरीब भाई-बहनों को देखता हूँ तो जरुर लगता है कि उनको लगता होगा की ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, हमें इस मुसीबत में डाल दिया।
पीएम मोदी ने कहा, उनसे भी मैं विशेष रूप से क्षमा मांगता हूँ, हो सकता है बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। मैं आपकी दिक्कतें समझता हूँ, आपकी परेशानी भी समझता हूँ लेकिन भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश को, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई के लिए, ये कदम उठाये बिना कोई रास्ता नहीं था। कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई, जीवन और मृत्य के बीच की लड़ाई है और इस लड़ाई में हमें जीतना है और इसीलिए ये कठोर कदम उठाने बहुत आवश्यक थे। किसी का मन नहीं करता है ऐसे कदमों के लिए लेकिन दुनिया के हालात देखने के बाद लगता है कि यही एक रास्ता बचा है आपको, आपके परिवार को सुरक्षित रखना है।
उन्होंने कहा कि मैं फिर एक बार, आपको जो भी असुविधा हुई है, कठिनाई हुई है, इसके लिए क्षमा मांगता हूँ। पीएम मोदी ने कहा साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है– ‘एवं एवं विकारः, अपी तरुन्हा साध्यते सुखं’ यानि बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निपटना चाहिए। बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है और आज पूरा हिंदुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है। भाइयों,बहनों, माताओं, बुजर्गों कोरोना वायरस ने दुनिया को क़ैद कर दिया है। ये ज्ञान, विज्ञान, गरीब, संपन्न, कमज़ोर, ताक़तवर हर किसी को चुनौती दे रहा है। ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, ना ही ये कोई क्षेत्र देखता है और ना ही कोई मौसम। ये वायरस इंसान को मारने पर, उसे समाप्त करने की जिद उठाकर बैठा है और इसीलिए सभी लोगों को, पूरी मानवजाति को इस वायरस के ख़त्म करने के लिए, एकजुट होकर संकल्प लेना ही होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानो जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं। ये भ्रम पालना सही नहीं है। ये लॉकडाउन आपके खुद के बचने के लिए है। आपको अपने को बचाना है, अपने परिवार को बचाना है। अभी आपको आने वाले कई दिनों तक इसी तरह धैर्य दिखाना ही है, लक्ष्मण-रेखा का पालन करना ही है। मैं यह भी जानता हूँ कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, नियम नहीं तोड़ना चाहता लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अब भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। ऐसे लोगों को यही कहूँगा कि लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से बचना मुश्किल हो जायेगा। दुनियाभर में बहुत से लोगों को कुछ इसी तरह की खुशफ़हमी थी। आज ये सब पछता रहे हैं।
‘आर्योग्यम परं भागय्म स्वास्थ्यं सर्वार्थ साधनं’
यानि आरोग्य ही सबसे बड़ा भाग्य है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में सभी सुख का साधन, स्वास्थ्य ही है। ऐसे में नियम तोड़ने वाले अपने जीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं। इस लड़ाई के अनेकों योद्धा ऐसे हैं जो घरों में नहीं, घरों के बाहर रहकर कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे हैं। जो हमारे FRONT LINE SOLDIERS हैं। ख़ासकर के हमारी नर्सेज बहनें हैं, नर्सेज का काम करने वाले भाई हैं, डॉक्टर हैं, PARA-MEDICAL STAFF हैं। ऐसे साथी, जो कोरोना को पराजित कर चुके हैं। आज हमें उनसे प्रेरणा लेनी है।
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