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अब देशी 'पावणों' को रिझाने का होगा प्रयास...

रमेश शर्मा...
जैसलमेर। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते विश्वभर में सभी उद्योगों पर असर पड़ा है। राजस्थान के पर्यटन उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा है। राजस्थान में लाखों लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यटन उद्योग से जुड़े है। जिनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।

यदि पिछले 30 सालों बात करें तो कला और संस्कृति का प्रयाय पर्यटन नगरी जैसलमेर जो कि स्वर्ण नगरी के नाम से विश्वविख्यात है। यहां की 80 से 90 प्रतिशत जनता इसी पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी है। इसके चलते पर्यटन को जैसलमेर अर्थव्यवस्था की नींव कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

पहले नोटबंदी अब कोरोना, नोटबन्दी के बाद आई मंदी के चलते गत कुछ वर्षों में जैसलमेर में पर्यटन व्यवसाय की गति धीमी हो गयी थी परन्तु 2019-2020 का सीजन कहीं न कहीं राहत देने वाला साबित हो रहा था कि दुर्भाग्यवश कोविड-19 वायरस के आने से सीजन समय से पहले ही थम गया। यहां का सीजन 15 अगस्त से तकरीबन 30 अप्रैल तक रहता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारणवश मार्च के पहले हफ्ते में ही पर्यटन सीजन खत्म हो गया और रोजगार पर भारी संकट बनता जा रहा है।

पर्यटन टूर लीडर्स और एस्कॉट की मानें तो सब कुछ सामान्य होने के बाद रोजगार का संकट टाला जा सकता है, केवल जरूरत है तो सकरात्मक सोच और प्रयासों की। जैसलमेर पर्यटन से जुड़े लोगों का मानना है कि सकारात्मक सोच कहीं ना कहीं इस रोजगार के संकट के निकाल सकती है।

इटालियन टूर एस्कॉट आनन्द श्रीपत ने बताया कि पर्यावरण से किया गया खिलवाड़ कोरोना के रूप में उभर कर सामने आया है और सभी के दिलों में एक डर सा बना दिया है लेकिन लेटिन भाषा के एक शब्द कार्पेडियम जिसका शाब्दिक अर्थ है 'वर्तमान अवसरों को जाने ना देना' इसे सार्थक करने की जरुरत है और लोग इसे समझ भी रहे है। कोरोना के बाद पूरे विश्व के लोगों को एक बात समझ आ गई है कि स्थितियां सामान्य होने पर हमें ट्रैवल करना है।

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