एम.माजिद...
यूं तो खाकी वर्दी पहनने वाला हर पुलिसकर्मी बहादुर है लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनके बहादुरी के कारनामे इतिहास के पन्नों में दर्ज किए जाते हैं और ये वो लोग होते हैं जो अपनी जान की बाजी लगाकर इंसानियत के धागे को टूटने से बचाते हैं। उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच में रहने वाले एक परिवार के साथ भोपाल रेलवे पुलिस में तैनात एक सिपाही ने इंसानियत की मिशाल पेश की है।
बता दें कि कर्नाटक के संकेश्वर से लखनऊ के लिए श्रमिक ट्रेन से निकलीं साफिया हाशमी जल्दबाजी में अपने मासूम बच्ची के लिए दूध लेना भूल गईं, उन्हें उम्मीद थी कि ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकेगी और वो दूध खरीद लेंगी लेकिन ऐसा न हो सका। ट्रेन कर्नाटक से चलने के बाद एकाध स्टेशन पर रुकी जहां पर साफिया ने स्टेशन पर तैनात पुलिसकर्मियों से हाथ जोड़कर बच्ची के लिए दूध मांगा लेकिन साफिया को अपनी मासूम बच्ची सैयदा के लिए कहीं दूध नहीं मिला।
गौरतलब है कि 1200 किलोमीटर से अधिक के सफर में बच्ची दूध के लिए रोती बिलखती रही। आखिरकार ट्रेन जब भोपाल स्टेशन पर रुकी तो बच्ची को रोता देख एक बार फिर साफिया ने स्टेशन पर तैनात पुलिसकर्मियों से दूध मांगा और कहा कि उसकी बच्ची बहुत भूखी है कई घण्टों से दूध नहीं पीया है। जिसकी वजह से वो बहुत रो रही है स्टेशन पर पुलिसकर्मी तो बहुत थे पर इन्हीं पुलिसकर्मियों के बीच एक इंदर यादव नाम का सिपाही भी था जिसने कहा की आप चिंता ना करें हम दूध की व्यवस्था करते हैं और सिपाही स्टेशन के बाहर दूध लेने चला गया।
सिपाही जैसे ही दूध लेकर स्टेशन पर पहुंचा तो ट्रेन चल चुकी है और रफ्तार पकड़ चुकी है ये देखते ही इंदर ने एक हाथ में रायफल और एक हाथ में बच्ची का दूध लेकर सरपट दौड़ लगा दी और काफी देर तक तेज रफ्तार में दौड़ने के बाद आखिरकार साफिया के डिब्बे तक पहुंच गया और चलती ट्रेन में दूध बच्ची के मां को दे दिया और सिपाही की यह पूरी इंसानियत स्टेशन पर लगे सीसीटीवी में कैद हो गई।
सिपाही इंदर यादव ने हार नहीं मानी और नन्हीं सी भूखी बच्ची को दूध पहुंचाकर इंसानियत की सबसे बड़ी मिशाल पेश की है अब साफिया अपनी बच्ची के सैयदा को लेकर बहराइच पहुंच चुकी है लेकिन उस पल को याद कर वो बार बार कहती है कि इंदर यादव सिपाही नहीं मसीहा है। साफिया का पूरा परिवार इस सिपाही के कारनामे को सलाम कर रहा है।
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