राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बताया कि राज्यपाल राहत कोष उन लोगों की मदद करने में सक्षम है, जिनको कहीं से सहायता नहीं मिल पाती है। राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि राज्यपाल राहत कोष के उद्देश्यों को विस्तारित करने की आवश्यकता है। इससे लोगों की मदद करने का दायरा बढेगा, साथ ही कोष में लोग स्वेच्छा से राशि दान करने के लिए प्रेरित भी हो सकेंगे।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने बताया कि इस कोष का दायरा बढाकर अब अकाल, बाढ़, दुर्घटना, प्राकृतिक आपदाओं में लोगों की सहायता, महामारी में औषधि व उपकरण हेतु सहायता, गंभीर रोगी को उपचार हेतु एक मुश्त सहायता, भूतपूर्व सैनिकों के आश्रितों को गंभीर बीमारी में सहायता, विपदाग्रस्त स्थितियों में असहाय बालक-बालिकाओं की चिकित्सा, भोजन व रख-रखाव में सहायता और किसानों को आपदा काल यथा सूखा, अतिवृष्टि और टिड्डियो के द्वारा फसल नुकसान में सहायता के लिए प्रस्तावित किया जा रहा है।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि राज्यपाल राहत कोष विनियम 1973 में प्राविधित है। कोई भी व्यक्ति, संस्था या निकाय इस फण्ड में आर्थिक योगदान दे सकता है। योगदानकर्ता को आयकर अधिनियम के तहत कर में पचास प्रतिशत छूट देय है। राज्यपाल ने कहा कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के माध्यम से इस छूट को शत-प्रतिशत किये जाने का आग्रह किया गया है। राज्यपाल ने कहा कि सम्पूर्ण राष्ट्र कोविड-19 से जूझ रहा है। यह वैश्विक महामारी हम सभी के समक्ष एक चुनौती के रूप में बढती जा रही है। इसका सामना करने हेतु हम सभी को योजनापूर्वक सुरक्षित स्वस्थ राजस्थान का लक्ष्य भी प्राप्त करना है।
राज्यपाल ने कहा कि गत 9 माह के कार्यकाल में उनके द्वारा इस कोष से लगभग एक करोड़ रूपये जनहित में जारी किये गये हैं। राज्यपाल ने बताया कि इस कोष से प्रधानमंत्री केयर्स फण्ड व मुख्यमंत्री सहायता कोष में बीस-बीस लाख रूपये दिये जा चुके हैं और दस लाख रूपये राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन को पीपीई किट्स एवं एन-95 मास्क के लिए प्रदान किये गए। उन्होंने कहा कि राजस्थान के विभिन्न जिलों कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड, और धौलपुर में आई बाढ में राहत के लिए पचास लाख रूपये की राशि भी इस कोष से प्रदान की गई थी।
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