जयपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान में 11.5 लाख कोविड वैक्सीन की बर्बादी पर राज्य सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। शेखावत ने कहा कि जितनी वैक्सीन राज्य में खराब हुई हैं, उससे 10 लाख से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन हो सकता था। उन्होंने राज्य सरकार पर ग्लोबल टेंडर के नाम पर सस्ती लोकप्रियता के लिए शिगूफा छोड़ने का आरोप भी लगाया।
बता दें कि सोमवार को मीडिया से रूबरू होते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि सबसे पहले राजस्थान के मुखिया ने आगे बढ़कर कहा था कि हमें अनुमति दें, हम 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन स्वयं लगा लेंगे। फिर ग्लोबल टेंडर का नाटक किया। जब इसमें सफल नहीं हुए तो केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, जबकि आज ही राज्य में कूड़े में वैक्सीन फेंकने की खबर छपी है। केरल का उदाहरण देते हुए शेखावत ने कहा कि इस राज्य ने वैक्सीनेशन में अच्छा काम किया है। यहां बेहद कम डोज बर्बाद हुई हैं। राजस्थान को इनसे सीखने की जरूरत है।
वैक्सीन की उपलब्धता के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर प्रोटोकॉल तय किया है। पूरा रोडमैप तैयार है। वैक्सीन देने में भेदभाव के आरोपों को नकारते हुए शेखावत ने कहा कि जनसंख्या और प्रदर्शन के अनुसार राज्यों को वैक्सीन दी जा रही है। बाहर की कंपनियों को भी देश में वैक्सीन बनाने की अनुमति दी गई है। जैसे-जैसे वैक्सीन का उत्पादन बढ़ेगा, वैक्सीनेशन की चुनौती खत्म हो जाएगी। अगस्त तक 30 करोड़ वैक्सीन और उपलब्ध होंगी। उन्होंने एकबार फिर दोहराया कि दिसंबर यानी आठ महीने में देश के प्रत्येक नागरिक का वैक्सीन करा लिया जाएगा।
विपक्ष पर सवाल उठाते हुए शेखावत ने कहा कि अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने वाला देश भारत है। 21 करोड़ वैक्सीन डोज़ हमारे यहां लग चुकी हैं। उन्होंने पूछा कि 135 करोड़ आबादी का कौन सा देश इतनी कम अवधि में वैक्सीन लगा सकता है।
शेखावत ने राजस्थान में कोरोना की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भीलवाड़ा और रामगंज मॉडल का क्या हुआ। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बयानों पर टिप्पणी करते हुए शेखावत ने कहा कि शिक्षा मंत्री की जगह चिकित्सा मंत्री सवाल करते तो ठीक रहता। बेहतर तो यही है कि शिक्षा मंत्री शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दें।
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