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जयपुर में औषधि नियंत्रक दल की बड़ी कार्रवाई, तीन दवा दुकानों सहित चार फर्म पर मारे छापे...


जयपुर।
राजधानी में दवाओं की कालाबाजारी रोकने व दवाओं के निर्धारित दर से अधिक की वसूली पर अंकुश लगाने के लिए बनाई गए औषधि नियंत्रक टीम ने बिना एमआरपी एवं बिना निर्माता के नाम के निम्नस्तरीय पल्स ऑक्सीमीटर को लेकर जयपुर स्थित चार फर्मों पर शुक्रवार को छापेमार कार्रवाई की। 

औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा ने बताया कि नाहरगढ़ रोड, स्थित प्रेम एंटरप्राइजेज द्वारा कॉस्मेटिक्स की आड़ में  कोरोना संक्रमित मरीजों में काम आने वाले पल्स ऑक्सीमीटर को मनमाने दामों पर बेचने की शिकायत प्राप्त हुई। टीम ने पहुंचकर मौके पर पल्स ऑक्सीमीटर बरामद किए जिन पर निर्माता का नाम एवं एमआरपी अंकित नहीं थी एवं प्रथम दृष्टया उक्त ऑक्सीमीटर निम्न स्तरीय गुणवत्ता के पाए गए जो कि पेपर एवं प्लास्टिक के भी ऑक्सीजन डाटा दिखा रहे थे। मौके पर उपलब्ध पल्स ऑक्सीमीटर के क्रय एवं विक्रय बिल प्रस्तुत नहीं करने पर टीम ने पल्स ऑक्सीमीटर को जप्त कर, फर्म संचालक लोकेश से ऑक्सीमीटर के क्रय विक्रय से संबंधित सूचना एकत्र कर अग्रिम कार्रवाई जारी है 

शर्मा ने बताया कि दल ने विधिक माप-तौल की टीम को साथ लेकर फिल्म कॉलोनी स्थित राजस्थान के सबसे बड़े दवा मार्केट में भी दुकानों का औचक निरीक्षण किया व जब्ती की कार्रवाई। उन्होंने बताया कि मौके पर मीरा फार्मा से 47 पल्स ऑक्सीमीटर, 150 वैपोराईजर जब्त किए गए। जबकि एआर मेडीटेक से 3 हजार सर्जिकल कैप, 1 हजार थ्री प्लाई मास्क व 27 वैपोराइजर जब्त किए गए। वहीं दुर्गा सर्जिकल से भी 22 वैपराइजर से अधिक, 4100 थ्री प्लाई मास्क व 180 एन 95 मास्क की जब्ती की गई। 

सहायक औषधि नियंत्रक दिनेश तनेजा ने बताया कि सभी आइटम बिना बिल, बिना एमआरपी व बिना निर्माता फर्म के मनमाने तरीके से बेचे जा रहे थे। उन्होंने बताया कि इन सामग्रियों और उपकरणों का प्रयोग कोरोना महामारी में आम जनता के द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में इन उपकरणों पर एमआरपी अंकित नहीं होने से विक्रेताओं द्वारा आम जनता से मनमाने दामों को वसूलने की पूर्ण संभावना थी। उन्होंने बताया कि चारों दुकानों के विरुद्ध औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अलग से कार्यवाही भी की जाएगी। 

तनेजा ने बताया कि दवा दुकानों व कॉस्मेटिक्स की आड़ में आक्सीमीटर बेचने वाली फर्म पर कार्रवाई के लिए अलग-अलग औषध नियंत्रण अधिकारियों की अलग-अलग टीमों का गठन कर औचक छापामारी की गई थी।

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