राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है भारत सरकार ने प्रदेश को पीएम केयर फंड से 1900 वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए थे। इन वेंटिलेटरों के इंस्टॉलेशन और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भारत सरकार की थी। डॉक्टरों के मुताबिक इनमें से कई वेंटिलेटरों में तकनीकी कमियां हैं जिनके कारण इन्हें इस्तेमाल करना रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
डॉक्टरों ने बताया कि इन वेंटिलेटरों में प्रेशर ड्रॉप की समस्या है। 1-2 घंटे लगातार काम करने के बाद ये वेंटिलेटर बन्द हो जाते हैं। इनमें PiO2 में अचानक कमी, ऑक्सीजन सेन्सर एवं कम्प्रेशर के फेल होने की परेशानी है।
5 अप्रेल को ओपन वीसी से हुई कोविड समीक्षा बैठक में मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के प्रिंसिपल डॉ. लखन पोसवाल ने भी इन वेंटिलेटरों की समस्या को उठाया था। राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र एवं गुजरात में भी इन वेंटिलेटरों में अलग-अलग समस्याएं मीडिया में रिपोर्ट की गईं हैं।
इन वेंटिलेटरों की समस्या से अवगत करवाने एवं इनको जल्द से जल्द ठीक करवाने हेतु राजस्थान सरकार द्वारा दो पत्र सचिव स्तर पर एवं एक पत्र मंत्री स्तर पर भारत सरकार को लिखे गये जिससे इन्हें ठीक करवाया जा सके।
राजस्थान में सभी वेंटिलेटर्स की मेंटिनेंस के लिए भारत सरकार द्वारा नियुक्त कंपनी ने 11 सदस्य भेजने की बात कही थी, लेकिन यहां सिर्फ 6 लोग ही कार्य कर रहे हैं। ये शिकायत पर वेंटिलेटर्स को ठीक करने गए लेकिन अनुभव की कमी के कारण ये ठीक नहीं कर कर पा रहे हैं जिससे डॉक्टर संतुष्ट नहीं हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई? इनसे रोगियों की जान को खतरा हो सकता है।
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