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शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना हो-मिश्र


जयपुर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने राजस्थान विश्वविद्यालय के 31 वें दीक्षान्त समारोह एवं 76 वें स्थापना दिवस पर राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय को ज्ञान के प्रसार और शोध-अनुसंधान के नवाचारों में विश्वभर में विशिष्ट पहचान बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, तकनीकी, उद्योग, पूंजी, श्रम और संस्कृति सभी क्षेत्रों में देश कैसे सर्वोच्च स्थान पर पहुंचे, विश्वविद्यालय शिक्षण के अंतर्गत इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति को शिक्षित बनाने के साथ आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सके। विश्वविद्यालयों में ऐसे युवा तैयार करने चाहिए जो उद्यमिता के क्षेत्र में वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा में वैचारिक नवाचारों के साथ कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर इस तरह की शोध परियोजनाओं पर कार्य किया जाएं जिनसे स्थानीय संसाधनों के अधिकाधिक उपयोग के साथ नवाचार अपनाते हुए युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा मिले। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शोध की दिशा यह नहीं होनी चाहिए कि हम कुछ किताबों को एकत्र कर उनके संदर्भ से एक नयी पुस्तक तैयार कर लें बल्कि इससे समाजोपयोगी विचारों की नई स्थापनाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय को शोध की ऐसी परम्परा का संवाहक बनाए जाने का आह्वान किया जिसमें विद्यार्थियों के चिंतन को नई दिशा मिले। उन्होंने शोध एवं अनुसंधान के अंतर्गत स्थानीय संस्कृति से जुड़े वैभव के संरक्षण का व्यावहारिक मार्ग तैयार करने पर बल दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों में शोध की ऐसी संस्कृति विकसित करने की बात कही जिससे विश्वविद्यालयी शोध एवं अनुसंधान का लाभ वृहद स्तर पर आम जन को मिल सके। मिश्र ने विश्वविद्यालयी कक्षाओं में विद्यार्थियों की अधिकतम भागीदारी हेतु अध्यापन में रोचकता का समावेश किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने शिक्षक और विद्यार्थी के निरंतर संवाद, पाठ्यक्रमों में समयबद्ध युगानुरूप परिवर्तन-परिवर्धन के साथ उनमें नवाचारों को बढ़ावा दिए जाने पर भी जोर दिया। राज्यपाल ने कहा कि वैश्विक संदर्भों में रोजगारपरक शिक्षा के अंतर्गत ऐसे पाठ्यक्रम निर्मित किए जाएं जिनसे कि विद्यार्थी शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् स्वयं के साथ दूसरों को भी रोजगार प्रदान करने में सक्षम हो सकें। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय को भारत और भारतीयता को केन्द्र में रखकर विद्यार्थियों में तकनीकी, साहित्यिक, वाणिज्यिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि को विकसित करने के लिए भी निरंतर कार्य किए जाने पर जोर दिया।

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