जयपुर। जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा है कि जल की बचत और संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सभी लोग अपने दैनिक जीवन में पानी को बचाने के संकल्प के साथ इसके अधिकतम सदुपयोग को अपनी आदत बनाए क्योंकि जल की बचत ही जल का उत्पादन है। डॉ. जोशी जयपुर में विश्व जल दिवस के अवसर पर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) तथा जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन (डब्ल्यूएसएसओ) की ओर से आयोजित पोस्टर विमोचन कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। जलदाय मंत्री ने कहा कि जीवन के लिए हवा के बाद पानी की सर्वाधिक आवश्यकता वाला तत्व है, जो हमें प्रकृति से मिलता है, लेकिन यह मानवीय स्वभाव हो गया है कि जो चीजें हमें प्राकृतिक रूप से मिलती है, व्यक्ति उनके उपयोग और प्रबंधन के मामले में लापरवाह होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानव द्वारा जब भी पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज की जाती है तो वहां सबसे पहले पानी की तलाश की जाती है। पानी की खोज ही यह बताती है कि वहां कभी जीवन रहा होगा। इसलिए यह कहा जाता है कि जल है तो जीवन है। आज इसी परिप्रेक्ष्य में जल को सहेजते हुए उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने की जरूरत है। डॉ. जोशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पूरी दुनिया में जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए आज के दिन को 'विश्व जल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। सभी को इस जिम्मेदारी के लिए सचेत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2018 से 2028 के दशक को जल कार्यवाही दशक घोषित किया है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जलदाय राज्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह बामनिया ने कहा कि जल की उपलब्धता की स्थिति सभी को पता है। लगातार अत्यधिक दोहन के कारण भूजल की स्थिति खराब होती जा रही है। यह समय की मांग है कि हम भूजल के दोहन के साथ-साथ रिचार्ज के प्रति भी सजगता से ठोस प्रयास करें। इसी से आने वाला कल हमारे लिए सुरक्षित हो सकेगा।
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