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नवीकरणीय ऊर्जा के तहत स्थापित विद्युत क्षमता के लक्ष्यों की पूर्ति में कमी चिंतनीय

जयपुर। राज्यसभा सांसद श्री नीरज डाँगी ने मंगलवार को सदन में तारांकित प्रश्न के माध्यम से केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा एवं विद्युत मंत्रालय से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता के लक्ष्यानुरूप उत्पादन में कमी एवं नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की समयबद्ध पूर्णता में ढिलाई का मुद्दा उठाया। केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा एवं विद्युत मंत्री ने डांगी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि फरवरी 2022 तक गैर- जीवाश्म ईधन स्रोतों से 500 गीगावाट की स्थापित विद्युत क्षमता के लक्ष्य के विपरीत अक्षय ऊर्जा (बड़ी पन बिजली सहित) मात्र 152.90 गीगावाट स्थापित की गई। डांगी ने केंद्रीय मंत्री के प्रत्युत्तर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा स्थापित विद्युत क्षमता के लक्ष्य का मात्र 30.58 प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया गया है जो चिंता का विषय है। जबकि राजस्थान में पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक स्रोत स्थापित कर लक्षित क्षमता का बहुत बड़ा हिस्सा राजस्थान से अर्जित किया जा सकता है।  सांसद श्री डाँगी ने केन्द्र सरकार को लक्ष्यानुरूप परियोजनाएं स्थापित नहीं किये जाने के संबंध में सदन में बोलते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने फरवरी 2022 तक के आँकड़े तारांकित प्रश्न के प्रत्युत्तर स्वरूप प्रस्तुत किये हैं जिसके अनुसार वर्ष 2030 तक गैर- जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट की स्थापित विद्युत क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है जिसके विपरीत मात्र 152.90 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई है। डाँगी ने सदन में कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में इसे लक्ष्य से कोसों दूर बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में राजस्थान में पवन ऊर्जा में 29.1 एवं सौर ऊर्जा 8255.92 मेगावाट के स्रोत स्थापित किया जाना बहुत कम है जबकि राजस्थान में पवन एवं सौर ऊर्जा में देश के लक्ष्य का बहुत बड़ा हिस्सा उपलब्ध हो सकता है। इसी प्रकार लघु पन एवं बड़ी पन बिजली के क्षेत्र में राजस्थान में एक भी स्रोत स्थापित नहीं किया गया है जो अत्यन्त खेदजनक है इस क्षेत्र में भी केन्द्र सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है।  राज्यसभा में श्री नीरज डाँगी ने राजस्थान के प्रतापगढ एवं जालौर जिलों में नये चिकित्सा महाविद्यालयों के खोले जाने के लम्बित प्रस्तावों पर हो रही देरी का मुद्दा उठाते हुए इन्हें शीघ्र खोले जाने की मांग की। जिसके प्रत्युत्तर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय ने अवगत कराया कि नये चिकित्सा कॉलेजों की स्थापना संबंधी केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तहत राजस्थान में 23 नये मेडिकल कॉलेजों को स्वीकृति प्रदान की है इनमें से मात्र 07 क्रियाशील हुए है।  केंद्रीय मंत्रलय द्वारा राजस्थान के प्रतापगढ एवं जालौर जिलों में नये मेडिकल कॉलेज खोले जाने के लम्बित प्रस्तावों पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।  डाँगी ने सदन में प्रश्न उठाते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में बैंकों में ऑनलाईन धोखाधड़ी के मामले बढते जा रहे हैं परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा इसकी रोकथाम एवं नियन्त्रण पर कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों में ऑनलाईन धोखाधड़ी पर बैंक कर्मचारियों के उत्तरदायित्व निर्धारित किये जाकर सख्त नियम बनाये जाने की आवश्यकता है साथ ही ऑनलाईन भुगतान में ओटीपी जैसे और भी बेरियर बैंकों द्वारा शुरू किये जाने चाहिए जिससे साईबर अपराधों एवं ऑनलाईन धोखाधड़ी को रोका जा सके। श्री डांगी ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विभिन्न चौनलों पर कार्ड या ऑनलाईन बैंकिंग में ऑनलाईन अलर्ट प्रणाली को और अधिक विकसित किए जाने की मांग रखी ताकि समय रहते ऑनलाईन बैंकिंग धोखाधड़ी से बचा जा सके।

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