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क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्में निवेश का प्लेटफार्म करती है तैयार

जयपुर। राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के चौथे दिन सोमवार को अलग-अलग भाषाओं में डेढ़ दर्जन से अधिक फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, वहीं सिनेमा द्वारा पर्यटन, निवेश एवं संस्कृति को बढ़ावा विषय पर टॉक शो का भी आयोजन किया गया। इस टॉक शो में भारतीय सिनेमा के ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा, फिल्म निर्माता और निर्देशक राजेंद्र गुप्ता, फिल्म निर्माता एन.आर गोधा, अभिनेता चाल्र्स थॉमसन और एन चंद्रा ने अपने विचार रखें। कोमल नाहटा ने कहा कि पर्यटन और निवेश को बढ़ावा देने के लिए फिल्म सबसे अच्छा जरिया है। फिल्मों के माध्यम से आम जनता तक संदेश को आसानी से पहुंचाया जा सकता है। सात समंदर पार बैठे लोग भी फिल्मों को देखकर प्रदेश के प्रति आकर्षित होते हैं। उन्होंने बताया कि कई प्रदेश क्षेत्रीय फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रहे है लेकिन अभी भी राजस्थानी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार कारगर कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को बढ़ावा दें तो, न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यहां निवेशक भी आकर्षित होंगे। फिल्म निर्देशक और निर्माता राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि कुछ दिन पहले ही एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की है और जल्द ही प्रदेश सरकार राजस्थान में फिल्मों की शूटिंग करने वालों के लिए आकर्षक पॉलिसी घोषित होगी। उन्होंने संकेत दिए कि राजस्थान सरकार राजस्थान में शूटिंग करने वाले फिल्म निर्माताओं को 15त्न की सब्सिडी देने और पर्यटन विभाग की होटल व रेस्टोरेंट में रुकने पर 50 फ़ीसदी की छूट देने का निर्णय ले सकती है। सरकार ने हाल ही में सिंगल विंडो पॉलिसी सिस्टम लागू किया है जिससे काफी हद तक फिल्म निर्माताओं को सुविधा हुई है। अभिनेता चाल्र्स थॉमसन बताया कि विदेशों में आज भी ताजमहल और खुजराहो की गुफाओ को प्रमोट किया जाता है जबकि देश में कई आकर्षक पर्यटन स्थल है। राजस्थान में भी कई ऐसे महल और किले हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है। इसके लिए भारत सरकार और राजस्थान सरकार को सामूहिक प्रयास करने चाहिए ताकि देशी और विदेशी सैलानियों को आकर्षित किया जा सके। बाल फिल्म निर्देशक एन आर गोधा ने बताया कि अभी भी देश में बच्चों के विषयों से जुड़े फिल्मों को सही तरीके से बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है, जबकि इसके लिए सरकार को विशेष रियायत देनी चाहिए। उन्होंने कर्नाटक सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां कर्नाटक सरकार अन्य फिल्म निर्माताओं को 10 लाख रुपए की सब्सिडी देती है तो वहीं बच्चों से जुड़ी फिल्में बनाने पर 25 लाख की सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने राज्य सरकार से बच्चों से जुड़ी फिल्में बनाने वाले फिल्म निर्माताओं को 50 लाख की सहायता राशि देने की सलाह दी , ताकि बच्चों को भी प्रदेश की संस्कृति और सभ्यता उसे अवगत कराया जा सके। फिल्म निर्माता और निर्देशक एंन चंद्रा ने बताया कि पिछले 70 वर्षों से फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने का काम कर रखी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठी फिल्म उद्योग को जिंदा रखने के लिए बहुत काम किया है। मराठी फिल्म निर्माताओं को विशेष सब्सिडी देने, फिल्म सिटी में शूटिंग करने पर 50त्न की छूट देने, टैक्स फ्री और स्क्रीन उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए हैं , जिससे सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को भी इसी तरह के कदम उठाने चाहिए। प्रदेश को जल्द मिलेगी फिल्म सिटी की सौगात- पर्यटन विभाग के अधिकारी शरद व्यास से बताया कि राजस्थान सरकार प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयास कर रही है। सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने के बाद काफी निर्माता राजस्थान की तरफ आकर्षित हुए हैं , साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही जोधपुर संभाग के पाली जिले के सुमेरपुर में फिल्म सिटी बनाने का काम भी शुरू होने वाला है और जल्द ही प्रदेशवासियों को फिल्म सिटी की सौगात मिलेगी। रिफ डायरेक्टर सोमेंद्र हर्ष ने टॉक शो का संचालन किया वही सह निदेशक अंशु हर्ष ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। आज इन फिल्मों का होगा प्रदर्शन-छ: दिवसीय राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तहत मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय संगीत वीडियो एल्बम ‘अन्सिएंट लवर’, मराठी शार्ट फिल्म ‘बेलोसा (द ब्रेव)’, डॉक्यूमेंटरी फि़ल्म ‘बी बी लाल डोएन ऑफ़ इंडियन आर्कियोलोजी’, शार्ट फिल्म ‘न्यूटनस पेंडुलम’ राजस्थानी फीचर फिल्म के साथ अनेको फिल्म का प्रदर्शन होगा।

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