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आतंकियों ने पूरे देश को थर्राकर रख दिया था


नई दिल्ली,सत्ताजगत।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात का 107वां संस्करण का आयोजन हुआ. पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों नमस्कार. आज के ही दिन देश में सबसे जघन्य हमला हुआ था. आतंकियों ने पूरे देश को थर्राकर रख दिया था, लेकिन हम उस हमले से उभरे. देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने संविधान में अलग-अलग समय पर संशोधन किए हैं. संविधान सभा के कुछ सदस्य मनोनीत किए गए थे, जिनमें से 15 महिलाएं थी. ऐसी एक सदस्य ने महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवाज बुलंद की थी. राष्ट्र निर्माण में जब सबका साथ होता है तभी सबका विकास भी हो पता है. मुझे संतोष है कि संविधान निर्माता के इस दूर दृष्टि का पालन करते हुए भारत की संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को पास किया है. नारी शक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र की संकल्प शक्ति का उदाहरण है. विकसित भारत के हमारे संकल्प को गति देने के लिए भी उतना ही सहायक होगा।  जब जनता जनार्दन संभाल लेती है तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे देश को आगे बढऩे से नहीं रोक पाती।  आज भारत में भी स्पष्ट दिख रहा है कि कई परिवर्तनों का नेतृत्व देश की 140 करोड़ जनता ही कर रही है.इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमने त्योहारों के इस समय में देखा है. पिछले महीने मन की बात में मैंने लोकल फॉर वॉकल यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया था. पिछले कुछ दिनों के भीतर ही दिवाली, भैया दूज और छठ पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया. अब तो घर के बच्चे भी देखने लगे हैं कि सामान पर मेडिन इंडिया लिखा है या नहीं. इतना ही नहीं ऑनलाइन सामान खरीदते समय अब लोग कंट्री ऑफ ओरिजिन इसे भी देखना नहीं भुलते, लोकन फॉर वॉकल का अभियान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है.  रोजगार की गारंटी ही विकास की गारंटी है. यह देश के संतुलित विकास की गारंटी है. इससे शहरी और ग्रामीण दोनों को समान अवसर मिलते हैं. इससे अन्य उत्पादों में वैल्यूएशन का भी मार्ग बनता है और अगर कभी वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव आता है. तो लोकन फॉर वॉकल का मंत्र हमारी अर्थव्यवस्था को संरक्षित भी करता है. साथियों भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहार पर सीमित नहीं रहनी चाहिए. अभी शादियों का मौसम भी शुरू हो चुका है. कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है की. शादियों के इस सीजन में करीब 5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हो सकता है. सदियों से जुड़ी खरीदारी में भी आप सभी भारत में बने उत्पादों को ही महत्व दें और हां जब शादी की बात निकली है तो मेरे मन की पीड़ा मैं मेरे परिवारजनों को नहीं कहूंगा तो किसको कहूंगा. भारत की मिट्टी में भारत के लोगों के बीच अगर हम शादी विवाह मनाएं. तो देश का पैसा देश में रहेगा. देश के लोगों को आपकी शादी में कुछ ना कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा। छोटे-छोटे गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी की बातें बताएंगे. क्या आप लोकन फॉर वॉकल के इस मिशन को विस्तार दे सकते हैं. क्यों ना हम शादी ब्याह जैसे समारोह अपने ही देश में करें. हो सकता है आपको चाहिए वैसी व्यवस्था आज नहीं होगी. लेकिन अगर हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे तो एक दिन जरूर होगी. यह बहुत बड़े परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है. आशा करता हूं मेरी पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुंचेगी.पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि आप एक और काम कर सकते हैं. आप प्रयास करिए की एक महीने तक आप क्कढ्ढसे ही पेमेंट करें. भारत में डिजिटल क्रांति की सफलता ने इसे बिल्कुल संभव बना दिया और जब एक महीना हो जाए तो आप मुझे अपने अनुभव अपनी फोटो जरूर शेयर करें. मैं अभी से आपको एडवांस में अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

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