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ऊर्जा मंत्री नागर ने की महाराष्ट्र के सीएम से मुलाकात


जयपुर। सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों को दिन में बिजली आपूर्ति करने तथा विद्युत वितरण तंत्र में सुधार की दिशा में राजस्थान, महाराष्ट्र के मॉडल को अपनाएगा। इस संबंध में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का दल जल्द ही महाराष्ट्र का दौरा कर वहां की सरकार द्वारा इस दिशा में किए गए नीतिगत बदलावों तथा इनके माध्यम से आए सफल परिणामों का अध्ययन करेगा तथा राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप इन्हें यहां लागू करने के संबंध में रणनीति तैयार करेगा।  प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हीरालाल नागर ने इस संबंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे से मुम्बई में मुलाकात की। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार की प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा श्रीमती आभा शुक्ला भी मौजूद थी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा एवं श्री नागर ने बीते दिनों दिल्ली में केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह से मुलाकात की थी। इस दौरान श्री सिंह ने उन्हें ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने की दिशा में महाराष्ट्र सरकार के मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया था। मुलाकात के दौरान श्री शिंदे ने बताया कि राज्य में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब तक परंपरागत ऊर्जा के स्त्रोतों से चल रहे सिंचाई पंपों को बड़ी संख्या में सोलर पंपों में बदला जा रहा है। सौर ऊर्जा संचालित पंपों का उपयोग बढ़ाने की महाराष्ट्र सरकार की इस मुहिम से किसानों को सिंचाई कार्य के लिए दिन में भी बिजली मिल रही है। इससे प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिली है। इतना ही नहीं, किसान सोलर पैनल के माध्यम से उत्पादित अतिरिक्त बिजली को सरकारी या निजी बिजली कंपनी को बेचकर लाभ भी कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कृषि को सौर ऊर्जा में शिफ्ट करने की पहल करने वाला देश का अग्रणी राज्य है।शिंदे ने ऊर्जा मंत्री को बताया कि राज्य में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में निवेशकों (बिडर) के लिए सरकारी भूमि की उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया है। पीएम कुसुम योजना के माध्यम से महाराष्ट्र में सिवायचक, बंजर, सरकारी कार्यालयों तथा कृषि भूमि का एक लैंड बैंक तैयार किया गया है। इससे सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के लिए भूमि की उपलब्धता पहले से ही सुनिश्चित होने, अनापत्तियां लेने में तथा ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया को सुगम बनाने जैसे कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं। इनका नतीजा यह रहा कि वहां सौर ऊर्जा के 4 से 5 हजार मेगावाट के नए प्रोजेक्टों के लिए कम दरों पर बोली प्राप्त करने में सफलता मिलने की उम्मीद है। 

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